दलितों की अवस्था को सुधारने के लिए प्रयास तो गौतम बुद्ध के समय से ही शुरू हो गए थे. बुद्ध के बाद भारतीय समाज में कई संत और समाज सुधारक हुए हैं जिन्होंने दलितों की दीनदशा के लिए आंसू बहाए हैं लेकिन ज़मीनी कार्य पहली बार बाबासाहेब अम्बेडकर ने ही किया. उन्होंने यह क्रांतिकारी समझ दी कि दलितों को अपनी दशा खुद सुधारना होगी. किसी की दया पर उनकी हालत नहीं बदल सकती. इसलिए उन्हें शिक्षित होना पड़ेगा, संगठित होना पड़ेगा और नेतृत्व करना पड़ेगा.
डाक्टर भीमराव रामजी आंबेडकर ( 14 अप्रैल , 1891 -- 6 दिसंबर , 1956 ) एक भारतीय विधिवेत्ता थे। वे एक बहुजन राजनीतिक नेता, और एक बौद्ध पुनरुत्थानवादी होने के साथ साथ, भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार भी थे। उन्हें दलितों के मसीहा ,महामानव , बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता है।
दलितों के मसीहा ,महामानव डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को शत-शत नमन .........
Monday, April 12, 2010
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